संस्कृत का ज्ञान हमें उस समृद्ध वैभव विशाल अतीत से जोड़ता है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥